Actions speak louder than words
"मनुष्य का चरित्र उसके कर्मों से पहचाना जाता है, शब्दों से नहीं। "
इस उत्कृष्ट सूक्ति को और अधिक विस्तार से समझते हैं:
चरित्र की कसौटी: कर्म बनाम शब्द
यह कथन मनुष्य के व्यवहार की सत्यता को उजागर करता है।
1. कर्मों का महत्व (The Weight of Deeds)
* सच्चाई का प्रमाण: जब कोई व्यक्ति मुश्किल समय में मदद करता है, या अपने सिद्धांतों पर डटा रहता है, तो उसका यह कार्य उसके चरित्र को शब्दों से ज़्यादा स्पष्ट रूप से दिखाता है।
* विश्वसनीयता: लोग उन पर भरोसा करते हैं जो कहते हैं, वही करते हैं। अगर कोई लगातार बड़ी-बड़ी बातें करे लेकिन काम आते ही पीछे हट जाए, तो उसका चरित्र संदिग्ध हो जाता है। कर्म ही यह स्थापित करते हैं कि वह व्यक्ति ईमानदार है या केवल दिखावा कर रहा है।
2. शब्दों की सीमा (The Limit of Words)
* सरलता: शब्द बोलना आसान होता है। कोई भी व्यक्ति खुद को दयालु, ज्ञानी या सच्चा घोषित कर सकता है।
* खोखलापन: यदि किसी के शब्द और कर्म मेल नहीं खाते, तो उसके शब्द खोखले माने जाते हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति प्रेम और शांति की बात करता है, लेकिन क्रोधी और हिंसक व्यवहार करता है, तो उसके कर्म उसके चरित्र को सही ढंग से दर्शाते हैं।
निष्कर्ष
यह कहावत हमें सिखाती है कि हमें लोगों को उनके कथनों (कहने) के बजाय उनके कार्यों (करने) के आधार पर आंकना चाहिए, क्योंकि कर्म ही व्यक्ति के आंतरिक मूल्य और नैतिकता का असली आईना होते हैं।
संक्षेप में: "कहना" (Saying) आसान है, "करके दिखाना" (Doing) कठिन है, और यही कठिनाई चरित्र को परिभाषित करती है।
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